टूट गया वो रिश्ता,
वो डोर जो अभी बंधी भी नहीं थी...
रूठ गई वो हंसी,
जो अभी होंठो पर बसी भी नहीं थी...
चलना था साथ आखरी दम तक,
तो कुछ दूर ही मे दम टूट गया...
न जाने क्या बात हुई,
मुकद्दर हमारा हमसे रूठ गया...
वो डोर जो अभी बंधी भी नहीं थी...
रूठ गई वो हंसी,
जो अभी होंठो पर बसी भी नहीं थी...
चलना था साथ आखरी दम तक,
तो कुछ दूर ही मे दम टूट गया...
न जाने क्या बात हुई,
मुकद्दर हमारा हमसे रूठ गया...