इस दौड़ती भागती ज़िन्दगी मैं
फुरसत के दो कदम साथ चलने को वक़्त नहीं
पैसो की चाहत मे, आपनी चाहत के लिए वक़्त नहीं
वक़्त नहीं है, उन छोटी-छोटी खुशियों को बाटने का
कामियाबी की चाहत मे, जशन मानाने का भी वक़्त नहीं
बीत गई ज़िन्दगी, ख्वाबो की हकीकत तराशने मे
अब इस हकीकत को जीने का भी वक़्त नहीं
सब है यहाँ, दोस्त भी है, रिश्ते नाते भी
रिश्तों की इस डोर को बाधे रखने का भी वक़्त नहीं
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